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जैसे मछिंद्रनाथ का जन्म मछली के पेट से हुआ कहते हैं,
वैसे ही शंकराचार्य का जन्म गधी की योनि से हुआ :
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पुणे रेलवे स्टेशन से नजदीक एक नीलकंठेश्वर मंदिर काॅम्प्लेक्स है। कुछ साल पहले की बात है, 2010 इसवी की। वहां स्वामी नित्यानंद की प्रतिमा व पिपल वृक्ष के दरम्यान बैठे विलक्षण प्रतिभा के एक सज्जन, पुणा से ही कहे, किसी और सज्जन को अपने पास की हिफाजत से सम्हाले प्राचीन हस्तलिखित से पढकर कुछ बता रहे थे। सारी बात बताते हुए उनका मन सहज था, खुलेपन से था, किसी और के सुनने से उनको एतराज नहीं था। उनकी बात सार रूप में —
वेदांत शंकरा अपने पूर्व जन्म में इंद्र के स्वर्ग दरबार में गंधर्व थे, संगीत गायनादि में कुशल थे, विद्वत थे, सो सम्मानित भी थे। पर जीव जगत काम वासना के एक अचानक उद्भव से उसी स्वर्गीय दरबार में एक अप्सरा के साथ उनसे कुछ तीव्र गलत बर्ताव हुआ — सो दरबार क्षुब्ध हुआ। इंद्र देवता से शंकराचार्य शापित हुआ : गदहा जैसा काम किया, जा, धरती पर गदही की योनी से जनम होगा! सो शंकरा का जन्म गदही की योनी से हुआ, Shankaracharya born of a donkey.
आगे उस प्रतिभावान सज्जन ने समझाया कि, पिछले तथा विद्वत प्रभाव, गायनादि कौशल आदि से शंकराचार्य ने धरम के नाम पर मनमुखी वेदांत, मन-पोषित देवतां प्रेम से स्तोत्र, अष्टक आदि रचनाएं कियी; तथा अपने अचेतन प्रतिभाव स्वरूप वह स्त्रीयों के प्रति उम्रभर सहज भाव से नहीं रह सके। और बताया कि, उन स्तोत्र, अष्टक आदि गायन में एक विशेष जोर देना होता है, या जोश पैदा होता है। उनके गायन तरंगों में व गदहा (donkey) गान तरंगों में नाभी मूल से जोर लगता है, और उनमें एक विशेष समानता है, जो रेकार्ड कर अभ्यासी जा सकती है।
सो प्राचीन हस्तलिखित के आगे शिव-पार्वती आख्यान व मत्स्येंद्रनाथ के मछली (fish) के पेट से जन्म का संदर्भ देते उन्होंने शंकराचार्य के जन्म की बात को स्पष्ट किया।
आगे आगाह करते हुए उस सज्जन ने कहा — काॅमन सेंस के परे जीवन समझ की कोई सूझ नहीं होती। काॅमन सेंस जन जन में चेतन चले जरूरी है इति।
— योगी सूरजनाथ।
शंकराचार्य व वेद-वेदांतिकों की कुछ तथता :-
> अहं ब्रह्मास्मि का गुबार लिए भज गोविंदं मूढमते पर आ गये, भक्त बन गये या भक्ति-मुक्ति की बतियायी करने लगे, और अपनी मूढता खुद ही बता गये; सो वेद वेदांती शंकराचार्य व तथा भक्तों की वास्तविकता है यह जानें। दुसरे शब्दों में, अनित्य धरमी कालात्म अहंपिंड में काल दुख अवधूनन के साथ मीठा मरणा या निरवाण पथ समझने के बजाय, ये वेद-वेदांती विचार क्षेपित अहं ब्रह्मास्मि के कल्पना रमण में उलझ गये।
> सर्व ब्रह्म या अन्न ब्रह्म है कहते हुए कब टट्टी ब्रह्म है कह गये इन्हें पता ही नहीं चला।
> स्त्रियों एवं आम जनों के प्रति हीनभाव का मैल इनके मन में भरा हुआ है, जिसकी इन्हें कोई परवाह नहीं, उल्टे गर्व है।
> नाम-रूप या विचार-तृष्णा या काल-भव सत, बोधि या शुन्यता या कालातीत सत, व निरवाणिक या परम सत, इन मूलतः अलग जीवन स्तरों की समझ के साथ, नाम-रूप घट-पिंड में अलख संग्यान अर अनित्य बोध सूं बोधि जागरण व काल दुख अंत गामिता का इन्हें कोई अता-पता नहीं। विचार के बल नित्य आत्मा, परमात्मा, ईश्वर, अल्लाह आदि के नाम पर मनमुखी अहंतोषी कल्पना रमण यह जीवन दरसण नहीं है, तत्तग्यान (तत्वज्ञान) की समझ नहीं है।
> वैदिक वर्णाश्रमी धरमनाम परंपरा यह प्रत्यक्ष रूप से लोक-परलोक आस कालांध धरमनाम धंधा परंपरा है, इसे वैदिक-धंधा कहे सम्यक है, सनातन नहीं। सनातन शब्द चारों वेदों को पता भी नहीं है। सनंतन सनातन यह शब्द बुद्ध का काॅइन व व्याख्यायित किया हुआ है। बुद्ध गोरख जिद्दू जैसे महासिद्ध सनातन धम की बात सम्यकता से करते हैं।
> आगे यह भी समझे कि, वेदांत की बातें थोड़े में कहनेवाला अष्टावक्र नाम का व्यक्ति कभी प्रत्यक्ष था यह doubtful है, और शरीर से अपाहिज (crippled) था या नहीं यह अलग बात है। आगे, अष्टावक्र शरीर से अपाहिज था तो भी ऐसी बूरी बात नहीं। अष्टावक्र मन से अपाहिज था, जो मानसिक विकृति है। या जिसने भी अष्टावक्र यह पात्र पैदा किया व उसके मुंह में मिनी वेदांत कही जाने वाली अष्टावक्र गीता लिखी, वह मन से अपाहिज था, crippled था। राजा जनक एक सिद्ध पुरुष थे ऐसा कहा जाता है। यह मनमुखी अष्टावक्र उसी की इमेज को प्रदुषित करने व वेद-वेदांतिक अहं ब्रह्मा की अहंतोषी बातें चलाने की तिकड़म है।
> अष्टावक्र गीता में अपनी नित्य अमर आत्मा की मान्यता को देखते हुए जैन परंपरा वाले उसे चाव से चबाते दिखाई दे आश्चर्य नहीं। यह खूब समझे कि अहं के लिए कुदरतन, भले अहं किसी भी रूप में हो, भव ही संभव है, निरवाण या मोक्ष मुक्ति नहीं। निरवाणिक सत या परम सत वस्तुतः नाम-रूप सत तथा द्वैत-अद्वैत विचार व शुन्यता/बोधि सत के भी परे हैं: और निरवाणिक या परम सत के बारे में कोई भी बात मनमुखी या बतियाई से ज्यादा नहीं होती।
नीचे की गोरख सबदी इन अष्टावक्र व वेद-वेदांतियों की असलियत थोड़े शब्दों में सटीकता से बयान करती है —
सबद ही में कहे ब्रह्म, मनसा नहि साधै, ते जोगी मन मनसा कदे नहि बांधै |
भणत गोरषनाथ मछंद्र का पूता, ये नये ग्यानी भगत घणे बिगूता ||३१०||
They prate about Brahma in words,
but don’t learn about desire,
those yogis can’t contain their mind and desires.
Gorakhnath, son of Macchindra, says,
these strange scholars and bhaktas are much fouled. (310)
ek se aaya hai alag alag
alag alag sab eki mai hai 🙏🙏🙏
Khoda hai aur uski khilqat qudrat hai
ОтветитьIn my opinion,
If we consider water, pure water & impure water, what remains common in all these is water.
If no water then, there is no presense or thought of pure / impure water.
So as per advait, water is base for all different water types here.
Similarly if no advait then there is no presense of shuddha, vishista etc..
Uddalaka & Shwetaketu conversion might help to understand more about Advait..
More i try to get knowledge less i understand
Ответитьबकवास बहुत कर रहे हो
ब्रह्मसूत्र समजनेको गुरूकृपा चाहिये
ये Video करके बोलनेकी बात नही है
शंकराचार्य जी को समझनेके लिये शायद तुम्हे कइले कइ जन्म लेने पडेंगे
Jitna ma samajh pa raha hu apni limited budhi se wo ye ha ki asal ma jo bahar dikh raha ha wahi andar bhi ha
Eeshwar na kewal hamare andar ha wo bahar bhi ha or sab kuch wo khud hi karte ha chahe universe me kuch ho raha ho ya koi jeev kisi prakar ka karm kar rahi ha wo dono hi ek dusre ke bina nahi chal sakte isi liya kaha gaya ha ki ki shiv shakti ek dusre ke bina adhure ha shiv bina shakti ka koi astitv nhi or shakti bina shiv ka Shakti ka matlab maya universe or shiv matlsb atma jo har gun nirgun se alag ha😊😊
But ye process chal hi kyun raha..
ОтветитьOnce read care fully formula e=mc2.all the universe made up matter and energy and these two are interchangeable. Then the whole universe is made of only one thing.
Ответитьभाई, अद्वैत को Monism नहीं कहा जा सकता । अद्वैत को non-dualism कहना सही होता है ।
बाकी, आप बहुत ही प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं ।
महादेव आपके हृदय को प्रकाशित करें ।
आपका concept मुझे समझ नहीं आता ,आप एक तरफ तो खुद पूजा मंदिर तीर्थ सब करते हो ,कभी शंकराचार्य को गलत बताते हो ,कभीj ओशो को ,कभी j कृष्णामूर्ति को,कभी डिबेट में विज्ञान के साथ होते हों, टोटल झुकाव आपका इसी बात पर लेकर ज्यादा होता है ,जो भी कुछ है ये ही है ,जो हम जीवन जी रहे है,और आप इसी confusuion में रहते हों,के भगवान है या नहीं है,और other hand आप मानते भी हो,बैटर ये ही होगा आप जितना माइंड का use बातों को explain करने में लगाते हो ,थोड़ी साधना करके ,किसी भी विधि को अपना के खुद सत्य अनुभव करे ,और एक्सप्लेन करे ,दूसरों की कहीं हुई बात पर चर्चा न करके खुद को पहचाने,ऐसे बस आप गोल गोल घूमते रहेंगे,,
Ответитьनमस्ते बेटा
आपसे और आपके चैनल से बहुत सरा शुद्ध ज्ञान समझ में आ रहा है । धन्यवाद,,🙏
Sanskrit ko official language me laana hoga ..
ОтветитьScience KO adhyatam se dur hi rakhe toh shayad tik ragega, nahi toh na toh science hi samanjh paoge aur na hi adhyatam ko.
ОтветитьHello friend...you like to equate the adwaita with atoms and elementary particles? This is an error of our material logic...science gives us a part of error too. Without the solid expereience of atma-sakshat such logics incl sciences cannot know or explain the true one.
Ответитьअंत त ब्रह्म सत्यं जगतमिथ्या
ОтветитьAll hail atheism ⚛️
ОтветитьKhup hard aahe yar dokyavrun jate kdhi kdhi
ОтветитьAham brahmasmi
ОтветитьShankarachrya advait philosophy rejected by Jagadguru ramanujacharya , nibarkacharya, vallabhacharya, Chaitanya Mahaprabhu, Srila Prabhupad , kripalu ji maharaj , all authentic vedic acharya follow dvait philosophy
Ответитьi wanna say don't fuse philosophy or theology with science . Both works in very diffrent ways ..these theology of dvait , advait or buddhism is completely based on subjective experiences which doesn't have any tools to observe , prove , detect or interpret in mathematical equations . This is just a work of linguistic with subjective perception and experiences which have no tools to measure or prove them.
ОтветитьYou are a born Acharya of Vedant of modern era. I was stunned to see a revered Shankaracharya whose inclination was very much towards worldly affairs. One has to be soft spoken with very limited ego in Spiritualism. The student or knowledge of Vedant is negligible when compared to huge population of our country. People to some extent are aware of rituals and follow it. Eventually Vedant (Sanatan Dharma) will bring Peace Peace Peace.
ОтветитьAre jagot mitha mane sei mitha noy 😂
ОтветитьHaa ramanujacharya par एवं ramanujacharya ke bisist adyetvad par bhi video banaye समझाये 😢😢😢😢❤❤
ОтветитьHaaa ❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉
ОтветитьThere is only one flawless dharma that is Buddha and Sunyata
ОтветитьWhat if, jab jiv atma, brahm ko pure bhakti ke madhyam se yaad kare tab jo brahm hai, wo nirgun roop se jiv atma ko brahm mein milne ki prerana de toh, yog ke jariye?
ОтветитьBhagwan ne moooh diya to kuchh bhi bako
Bol bachhan, Bhai isse acchha to kabir das ke dohe hi suna do, kum se kum kuchh to samajh ayega ki karna kya hai
Shankaracharya is a part of lord shiva you know he visited our house we actually lucky to become relatives of god
ОтветитьGourpad ji ke guru kon the? Please bataiye
ОтветитьSwaminarayan upasana siddhant ke bareme jante hai???????❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
ОтветитьPlz a vdo on god existence 😢😢
Ответитьआप त्रेतवाद पर वीडियो बनायें
Ответитьवेद अनुसार ईश्वर एक है पर आत्माएँ अनेक, त्रेतवाद ही सत्य है बाकि कल्पना
ОтветитьAdvait = Non - dual ( not two )
Advait × Monoism
Vastuon ka astitiva nhi hota sapne me fir hum experience krte hain ..aur unke according act krte hain ya smare emotions reflect kr jate hain ..without any actual existence - dis is because humare sub consciousness mind me memories store hain and in dreams it's is our subconscious mind which is active 🙌
Ответитьमित्र वल्लभाचार्य और,,,, माधवाचार्य
यह ऋषि फिलॉस्फर या विचारक नहीं है
यह तो ब्रह्म ज्ञानी है जब यह लोग बोलते हैं
तो फिलॉस्फर जैसा आभास हो सकता है.
मित्र मैं सोचता था भारतीय शास्त्रों को
कभी भी जन सामान्य को समझाया या
पढ़ाया नहीं जा सकता,,,,
लेकिन आपने इन शास्त्रों को पढ़ाया और
समझाया भी,,,,,
भविष्य में कभी इन शास्त्रों को विद्यालय में पढ़ाया जाएगा तब निश्चित ही आप ही
इसके प्रणेता होंगे .
You are confused ,
Wrong statements about Brahm
FREE 🆓 POST 📪
NO 🚫 CHARGE NO 🚫 COST
ALL THE BEST 👍💯
DEAR 💕 SIR /MEDAM
GOOD 👍 MORNING🌄🙋
BRAHMAND EK SAB SE BADA GHADI HAI.
EK FEN PANKO HAI TIN PANKHS HAI
TIN DEVO TIN GHADI KA CHAKKAR HAI
1....BRAHMA
2....VISHNU
3....MAHESH
ONE GHADI KA LOLAK TARAH TIN BOLLS GRAHO LOK SHAKTI SE CHALTA HAI.
TWO SOORAJ OR CHAD APNA GRAVITATION POSITIVE PRUTIVE LOK KO DEKAR KHUD SOORAJ OR CHAD NEGETIVE RAKH KAR PRUTHVI LOK KO CHALATA DODATA OR
PRUTHVI LOK CHAR BHAG ME HAI UBHI DHARI EK GHADI KA WATCH LOLAK KA KAM KARATA HAU
ADDI DHARI ME EK FIRST SOORAL OR OR SAMANE EK CHAD HAI
LOLAK KA DOO GRAHO 180 KE AAMNE SAMANE HAI OR VO GHOONE SE EK PRUTHVI LOK KO EK MEGNET KI TARAH WORK KARTA HAI
PLUS ➕ CHAR DISHA
MINAS ME FIRST SOORAJ ----- LAST ME MOON CHAD HAI
1.....SOORAJ NEGETIVE GRAVITATION MEGNENT REVERSE MINAS
2......CHAD MOON NEGETIVE
GRAVITATION MEGNET REVERSE MINAS
3.......PRUTHVI LOK POSITIVE GRAVITATION MEGNET PLUS ➕ 180 SE 360 BHAR PE BHOOMI PANI SE CHALTA HAI
PRUTHVI LOK DOO 2 BHAG ME HAI
EK LINE ➖ ME
FIRST SOORAJ HAI OR END PE CHAD HAI OR....
NICHHE PRUTHVI HAI.
PUPPAR ANTRIKSH LOK AVAKASH LOK AAKASH HAI 180 UPPAR GRAVITATION HAI HALF BHAG BHOOMI PANI ME 180 GRAVITATION NICHHE HAI
PRUTHVI LOK KE DOO BHAG ME EK LUNE ME FIRST EAST ME 181 SE SOORAJ HAI
SOORAJ
CHAD MOON
PRUTHVI ME WATER OR BHOOMI 181 SE 360 GRAVITATION MEGNET JAISE
EXAMPLE
EK FAN TIN PANKHS ME UNDER EK ARMECHAR TIN RINGS OR TIN PANKS HAI OR KHUD STUDY SE NICHHE AIR HAVA CHALTI HAI
PRUTHVI LOK KI UBHI DHARI LINE ME 0 SE SOUTH POLE SE END 🔚 360 NORTH POLE
SANGEETKAAR
JAIN 24 MAHAVEER
M.GANDHI
मेरा प्रश्न है कि अद्वेत द्वेत या त्रैतवाद तीनो मेसे तार्किक रूप से कोनसा सही है।
Ответитьमेरा प्रश्न है कि अद्वेत द्वेत या त्रैतवाद तीनो मेसे तार्किक रूप से कोनसा सही है।
Ответитьमेरा प्रश्न है कि अद्वेत द्वेत या त्रैतवाद तीनो मेसे तार्किक रूप से कोनसा सही है।
Ответитьअरे भाई मिथ्या का मतलब ये नही होता की झुटा है मिथ्या का मतलब जैसा है वैसा दिखता नही और हमेशा बदलता रहता है लेकिन ब्रह्म नही बदलता वही सत्य है लेकिन आप ब्रह्म को Define नही कर सकते, जिसे ब्रह्म का बोध हो जाए वो भी ब्रह्म को define नही कर सकता
ОтветитьMuje kush samaj nhi aya abhi bhi confusion hai
Ответитьसहजयोग आज का महायोग, 🙏
Ответитьआप साइंस से आध्यात्म को नहीं देख सकते।
ОтветитьMaya ko samajaneke liye maya jagat vibes se he samja ja sakata hai. Satya ki urja , buddi ko prakashit karati hai, jaise vidhut shakti bulb ke prakashit hone se jana jata hai.
Ответить